नई दिल्ली। राजधानी में आरएसएस चीफ मोहन भागवत के महत्वपूर्ण संबोधन के कुछ दिनों बाद अब संघ से जुड़ी शिक्षण संस्था शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों के साथ बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इस इवेंट में केंद्रीय मानव संसाधान विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय शिक्षा नियामक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ ही एआईसीटीई और जेएनयू भी सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नागपुर बेस्ड रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन द्वारा विज्ञान भवन में 29 सितंबर को आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे।फाउंडेशन के संयोजक राजेश बिनीवाले ने बताया कि 300 से ज्यादा शिक्षाविद और दूसरी प्रमुख हस्तियों के इस कार्यक्रम में पहुंचने की उम्मीद है। गौरतलब है कि आरएसएस से जुड़े भारतीय शिक्षण मंडल ने इस फाउंडेशन की स्थापना 2017 में की थी।उधर, प्रकाश जावड़ेकर के मंत्रालय ने सभी आईआईटीएस, आईआईएमएस, एनआईटीएस, आईआईएसईआरएस और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रमुखों को इस एक दिन के कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया है। अगले हफ्ते आयोजित कॉन्फ्रेंस ऑफ ऐकडेमिक लीडरशिप ऑन एजुकेशन फॉर रिसर्जेंस के लिए आईजीएनसीए, इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस ऐंड रिसर्च और इग्नू भी सहयोग कर रहे हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को बेहतर तालमेल के साथ काम करने पर जोर देना है जिससे वे राष्ट्र निर्माण के लिए मिशन मोड में काम कर सकें। इसके साथ वे इनोवेटिव विचारों को आपस में शेयर करें और राष्ट्रीय जरूरतों के समाधान खोजने के लिए तत्पर रहें। कॉन्फ्रेंस का समापन सीखने पर आधारित रोडमैप के साथ होगा, जिसमें कैंपस में बेहतर माहौल पैदा करने, प्रेरक गैलरी, राष्ट्रीय झंडे के प्रदर्शन, महत्वपूर्ण हस्तियों की मूर्तियों, खेल और योग के जरिए जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के साथ ही राष्ट्रीय एकता की भावना को बल देना होगा। एचआरडी मंत्री के हाल के बयान के तहत कॉन्फ्रेंस के अजेंडे में फंडिंग और वित्तीय मदद के लिए सरकार पर ज्यादा निर्भरता को कम कर संसाधनों के लिए सामाजिक योगदान और एल्युमिनी भागीदारी के जरिए बीच का रास्ता निकालने का सुझाव भी शामिल होगा।
29 सितंबर को दिल्ली में संघ का एक और कार्यक्रम
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